उत्तर प्रदेशबस्ती

अमहट पुल के पास गड्ढा बना जानलेवा

अजीत मिश्रा(खोजी)

।।बस्ती यूपी।।

प्रशासन को है किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार..

।।अमहट पुल के पास गड्ढा बना जानलेवा, बड़ी दुर्घटना का इंतजार, जिम्मेदार बेपरवाह।।

बस्ती, 8 मई 2025 |

बस्ती जिले में प्रशासनिक चहल-पहल के बीच एक गंभीर लापरवाही हादसे को न्योता दे रही है। कचहरी की ओर से अमहट की तरफ आते समय अमहट पुल के आरंभ में सड़क के किनारे एक बड़ा और खतरनाक गड्ढा पिछले एक महीने से बना हुआ है। यह गड्ढा कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि इसे अब तक नजरअंदाज किया गया है।

यह गड्ढा पुल के ठीक पहले, बाएं ओर सड़क पर है, जहां से प्रतिदिन जिले के आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक बड़ी संख्या में गुजरते हैं। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मंडलायुक्त, पीडब्ल्यूडी और सेतु निगम के अधिकारी, विधायक-सांसद से लेकर राज्य सरकार के मंत्री तक इस मार्ग से नियमित रूप से आते-जाते हैं। इसके बावजूद यह गड्ढा उनकी नजरों से ओझल है, मानो लग्जरी गाड़ियों की खिड़कियों से ज़मीन की हकीकत दिखती ही नहीं।

स्थानीय लोगों की मानें तो गड्ढा इतना खतरनाक है कि यदि कोई वाहन हल्की सी चूक कर जाए, तो सीधा हादसा होना तय है। किसी सजग नागरिक ने गड्ढे के पास एक लाल कपड़े को डिब्बे में लपेटकर रखा है ताकि वाहन चालकों को रात के अंधेरे में खतरे का संकेत मिल सके। मगर यह अस्थायी उपाय भी पर्याप्त नहीं है।

विशेष बात यह है कि यह स्थान शहर के प्रशासनिक केंद्रों के बेहद करीब है। महज 100 मीटर की दूरी पर पुलिस अधीक्षक का निवास, 200-300 मीटर पर कमिश्नर और जिलाधिकारी का आवास, सर्किट हाउस और मंडलायुक्त कार्यालय भी आसपास ही हैं। लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित कचहरी परिसर में रोजाना हजारों लोग न्यायिक कार्यों हेतु आते हैं। वहीं, इस मार्ग से सैकड़ों स्कूली बच्चे, श्रद्धालु और आमजन पैदल, साइकिल, बाइक और चारपहिया वाहनों से गुजरते हैं। पुल के बगल में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर में नियमित दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में यह गड्ढा केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक नहीं, बल्कि एक संभावित त्रासदी का संकेत है। यही नहीं, आगे बढ़ने पर फोरलेन को जोड़ने वाली सर्विस लेन भी अत्यंत जर्जर स्थिति में है, जो कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है।

अब सवाल उठता है—क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? कब तक आम नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए खुद जुगाड़ करता रहेगा और अधिकारी आंख मूंदे रहेंगे?

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